समस्याओं का सामना कैसे करें?

: अपनी समस्या के लिय दूसरों को  दोषी ठहराना कभीकभी यह बहुत आसान, कभी कभी बहुत तार्किक ओर समुचित होता है। लेकिन अपने लिए दूसरों की इन समस्याओं को हल करने में मदद ले पाना ,लगभग असंभव होता है । कोई कितना भी दोषी क्यों न हो ,आपकी समस्या के कुछ अंश आपके व्यवहार व दृष्टिकोण के कारण भी होते है। यह वह जगह होती है जहां आप अपने ध्यान व ऊर्जा को केंद्रित कर सकते हयदि आप दूसरों की सहायता प्राप्त कर लेते है तो यह बड़ी बात होगी। लेकिन जब आप नही कर पाते है  तब भी आप  ,परिस्थितियों को सुधारने के लिए बहुत कुछ कर सकते है आप तेज जाती रेलगाड़ी को रोक नही सकते जिससे कि आप रेलवे लाइन को क्रॉस कर सके लेकिन आप उसके गुजरने तक इन्जार तो कर सकते ह: आप किसी  राजनैतिज्ञ , बड़े व्यावसायिक घराने या संस्था को बड़े नीतिगत परिवर्तन करने के लिए विवश करने नही जा रहे है ।लेकिन आप  अपनी स्थिति को परिवर्तित कर,थोड़े बदलाव लाकर  ,यह कर सकते है जिससे वह नीति आपको नाकारात्मक रूप से प्रभावित न कर सके।
अपने ध्यान, ,ऊर्जा व कोशिसों को वहां लगाए जहां से आप बहुत कुछ अच्छा प्राप्त कर सकते है। अपना ध्यान किसी को कोसने में न लगाए जो हम परिवर्तन नही कर सकते।हमे ऐसी बहुत सारी बातों पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो हमारे ऊपर है और हम  सुधार कर सकते है ओर यह हमारे सामर्थ्य के अंदर है।: सबसे अच्छा व प्रभावी तरीका यह है कि हम जो कुछ भी चाहते है ,उससे कुछ समय के लिए  उसकी आवश्यकता से अलग कर ले। क्योंकि यदि आप सिर्फ आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो आप सिर्फ नाकारात्मक बात पर ओर एक सीमित दायरे में सोचेंगें कि आपके पास यह नही है। इसलिए आवश्यकता  पर से ध्यान हटाये ओर आप इसे पाने के लिए पहला कदम बढ़ा चुके है। आप इसे आवश्यकता से चुनाव में बदले ओर आप इसे वास्तविकता में बदलने की ओर अग्रसर हो चुके है।"हमे क्या करने की आवश्यकता है"  से इसे "हम क्या करेंगे" में परिवर्तन  करें। और अच्छा होगा यदि हम इसे क्या कर रहे है, में परिवर्तित करे। यह आपके दृष्टिकोण;  आपके तरीके,आपकी अपेक्छाओं व परिणाम , में बड़ा परिवर्तन लायेगा। उस व्यक्ति से तुलना करें जो कहता है"मुझे कुछ वजन कम करने की आवश्यकता है" और एक दूसरा कहता है"मेने हर सुबह अपना वजन नियंत्रित करने के लिए व्यायाम शुरू कर दिया है।

No comments:

Post a Comment

thank you

Skills In 2025

                                                   *Preface* The world of work is transforming at a pace never before witnessed....