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ईश्वर से संबंध (Hindi) Relationship with God

: हम सभी अपना जीवन विभिन्न तरह  के संबंधों से भरपूर जीते है। सुबह से लेकर शाम तक , संबंध एक तरह से स्थिर समर्थन प्रणाली की तरह कार्य करते है और लगभग हमारी जीवन रेखा की तरह है। कल्पना कीजिये कि आप इस दुनिया मे अकेले है ओर आपको अपना पूरा  जीवन अकेले बिना किसी को स्नेह और आनंद दिए, बीताना है। ऐसा जीवन कैसा होगा?यह कैसा प्रतीत होगा?रोचक होगा? शायद बिलकुल नही। इसलिए संबंध जीवन मे ऑक्सीजन  रूपी प्राणवायु का कार्य करते है।वे हमारे लिए शक्ति का स्रोत है,अवश्य ही यह हमारे  लिए प्रेम व स्नेह का स्रोत है जिनके बिना जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती।यही संबंध हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करते है, चाहे व लोगों के साथ हो या ईश्वर के  साथ। प्रेम इस दुनिया का मूल गुण है और इस दुनिया मे सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली भावना है। जहां तक ईश्वर भी  हमारे  अंदर प्रेम व स्नेह के आधार पर परिवर्तन लाता है। हमारी आत्मा ईश्वर के प्रेम की वजह से ही परिवर्तित  होती हैं। जहाँ तक कि आत्मा में शक्ति भी ईश्वर के द्वारा  भरी  जाती है क्योंकि वह हमें बहुत प्यार करता है। ईश्वर  हमारे ऊपर जो भी कार्य करता है या हमारी मदद करता है,  क्योंकि उसके प्यार से हम एक  बेहतरीन इंसान बन जाते है
हम  इसके लिएउसके ऋणि है उसके प्यार से ही हम अपने आप मे परिवर्तन के लिये  दृढ़ संकल्पित होते जाते है। इसलिए ईश्वर के प्रति प्रेम दोनो तरह से कार्य करता है ओर उसके प्रति सुंदर संबंध का आधार भी है।और लोगो के साथ भी वही है, वही लोग  हमारी ओर आकर्षित व नजदीक आते है  जो हमारे प्रेमपूर्ण व्यवहार से प्रभावित होते है। प्रेम मजबूत व स्थायी सम्बन्धों का आधार है। मेरा जीवन मे  सर्वोत्तम साथी ईश्वर व मैं स्वंय हूं।मैं जितना ईश्वर से जुड़ता जाता हूँ और उसे प्रत्येक कदम पर अपना मित्र बनाते जाता हूँ,उतनी ही खुसी मुझे अंदर से प्राप्त होती जाती है। मेरे चेहरे पर यह खुशी दिखाई देती है और मेरा धार्मिक व्यक्तित्व मेरे तथा समाज मे चारों तरफ़ ,जहां भी में जाता हूं खुशियों को फैलाते जाता है।परम शक्ति से जुड़े रहे वह आपको मार्ग से भटकने भी नही देगी

My Publications - Lalit Mohan Shukla

*Publications* refer to the process or result of producing and distributing content in a tangible or digital format, often for public consum...