क्रोध: यह लगभग असंभव है कि लोग आप पर क्रोध करे, जबकि आपने क्रोध करने से इंकार कर दिया है। कोई भी व्यक्त क्रोध नही कर पाएगा, क्योंकि उसके गुस्से का कोई परिणाम नही निकला। दयालुता व सम्मान की भावना इसलिए ही फलती फूलती नही है कि वे मानवीय मूल्यों से संबंधित है। बल्कि इसलिए कि उनमें किसी को मनाने के रणनीतिक मूल्य व शक्तिशाली संभावना भी छुपी हुई होती है। यदि आपको किसी का हृदय व मस्तिष्क परिवर्तित करना है ,तो उसे आप अपमानजनक व्यवहार द्वारा नही कर सकते। सबसे उचित मार्ग समझदारी, सम्मान, व दयालुता का है। क्या आप किसी के लिए यह कठिन बनाना चाहते है कि वह आपके साथ तर्क नही कर सके? ओर उसके बाद आप वह तरीका खोजे जिससे वो जो कह रहे है सहमत हो सके?इसका अर्थ यह कदापि नही है कि आप अपने तर्कों व विचारों का विरोध करे। विचारों की गहराई में जाये और सहमति के कुछ बिंदुओ को खोजे। वास्तविक सहयोग व प्रगति के लिए मार्ग प्रशस्त करे।हमारे अंधकार से भरे छणों में ही ,हमे उजाले पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।: इससे पहले की आप अपनी बात सिद्ध करने में लगाये,कुछ समय, विचार व कोशिशें ,सम्बन्धनों को सुधारने व मजबूती प्रदान करने में लगाये। अनावश्यक वादविवाद न करे , न होने दे,इससे आगे का रास्ता खुल सकेगा। हमे ऐसा व्यक्ति बनना है जो गाता ,चहकता अपने काम मे जुटा रहता है,जो व्यक्ति थोड़े समय मे ही अधिक काम कर लेता है।इसी में हमारा जीवन सफल व सम्रद्ध होता है। हम मानव खोजी प्रवत्ति के होते है। हम नई नई जगह पर जाते है क्योंकि हम पहले हम वहां कभी नही गए। हम अपने आप को अभिव्यक्त करने के नए तरीके खोजते है व्यापार करने के नए तरीके, टेक्नोलॉजी खोजते है।अन्वेषण में कूछ सकारात्मक गुण होते है जो कि हम प्राप्त कर सकते है। यह विश्वास के कार्य, साहस,आशावाद ,आत्मविश्वास ,अनुशासन, आत्मनिर्भरता के गुण लिए होती है। अन्वेषण एक उत्सुकता है समर्पण के साथ,जिसमे जोखिम तो है लेकिन भरपूर पुरूस्कारों के साथ।
: जो अच्छा अन्वेषक होता है वह गंभीर होने के साथ साथ,जीवनयापन में कुशल ,अनुशासित व ऊर्जावानभी होता है। और साथ ही स्पष्टवादी, खुले मस्तिष्क वाला,संसाधन युक्त,ओर जो भी उसके पास है उसका समुचित उपयोग करने वाला होता है। अन्वेषक स्पष्ट द्रष्टि लिए ध्यान केंद्रित करने वाला लेकिन अपने चारों तरफ मिलने वाली वस्तुओं व बातों से खुश होने वाला भी होता है।