सतत शिक्षा ,एक शिक्षा शास्त्री के रूप में मुझे एक बात हमेशा परेशान करती है,वह यह कि क्या हमारी शिक्षा प्रणाली वर्तमान की चुनौती से निपटने के लिए सक्छम है।लगभग लगभग विश्व की समस्त शिक्षा प्रणाली पाठ्यक्रम के सीमित दायरे में काम करती है। इसलिए वर्तमान के दृष्टिकोण से यह कम प्रभावी होती है। पर्यावरण असंतुलन, आतंकवाद, माहमारी जैसी आपदा से निपटने में यह एक महती भूमिका निभा सकती है।
: वैसे शिक्षा (Education) Educatum से निकला है जिसका अर्थ है निकालना। शिक्षा व्यक्ति की अन्तर्निहित प्रतिभा को निकाल उसे योग्य बनाती है। शिक्षा हमारी सम्प्रेषण कौशल को सुधारती है।प्रभावी सम्प्रेषण हमे परेशानी से निकलने में मदद करता है। पर्यटन एक मात्र ऐसा साधन है जो बच्चों के दृष्टिकोण को विस्तार देता है। इससे हमें बहुत सारी बाते सामने वाले देश व संस्कृति के बारे में जानने को मिलती है। इससे देशों के मध्य लोग एक दूसरे को जान पाते है। एक तरह से यह विश्व शांति में भी योगदान देता है। देशों के मध्य राजनीतिक परिस्थितियों का असर भी लोगों पर नही होता है।नई दिल्ली से लंदन तक रोड का सफर करने वाले मेरे एक मित्र ने बताया कि रास्ते मे मिलने वाले लोगों ने जिस गर्मजोशी से उनका स्वागत किया ,यह उनके लिए भूल पाना सम्भव नही है। अब बात आती है वर्तमान की समस्या से निपटने में सतत शिक्षा कैसे योगदान दे सकती है। समस्त यूनिवर्सिटी व बोर्ड अपने कोर्स ऑनलाइन करे । ओर एक तरह से एम्प्लॉयमेंट गारंटी प्रदान करे।जो कोर्स रोजगार न दे सके उन्हें बंद किया जाए
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